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Monday, July 11, 2011

रिश्तों में वो पहले वाली बात नहीं रही

लबों से छूके वो ताजा गुलाब देता है
कि जैसे फूल में भरकर शराब देता है
चलो वो कहता है तुम साथ मेरे खजुराहो
मैं चुप रहूं तो दुपट्टा जवाब देता है।

उमाश्री, होशंगाबाद (मप्र)

उसकी याद में हम बरसों रोते रहे
बेवफा वो निकले बदनाम हम होते रहे
प्यार में मदहोशी का आलम तो देखिए
धूल चेहरे पे थी हम आईना धोते रहे।

सुरेश कुमार मेघवाल, कोछोर, सीकर (राज)


रिश्तों में वो पहले वाली बात नहीं रही
दिल में संजो लें ऐसी सौगात नहीं रही
मोहब्बत विज्ञापन या प्रोडक्ट बन गई है
दीवाना कर दे ऐसी मुलाकात नहीं रही।

सुधा गुप्ता अमृता, कटनी (मप्र)

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