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Monday, July 11, 2011

अब कोई अच्छा भी लगे तो...

एक हस्ती है जो जान है मेरी
जो आन से भी बढ़कर मान है मेरी।
खुदा हुक्म दे तो कर दूं सजदा उसे
क्योंकि वो कोई और नहीं मां है मेरी।

गौरव जोशी, धार (मप्र)


थक सा गया है
मेरी चाहतों का वजूद,
अब कोई अच्छा भी लगे तो
हम इज़हार नहीं करते।

अजीत, रांची (झारखंड)


आज भी उसका इंतजार है
तस्वीर उसकी दिल में बरकरार है।
वह नहीं आता है
उसकी यादों की ही भरमार है।

गफूर ‘स्नेही’, उज्जैन (मप्र)

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