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Monday, June 20, 2011

मैं पल दो पल का शायिर हूँ..

कल नयी पोंक्लें फूटेंगी,
कल नये फुल मुस्कायेंगे.
और नयी घांस के नए फर्श पर,
नये पाँव इठलायेंगे.
वो मेरे बीच नहीं आये,
मैं उनके बीच में क्यूँ आऊँ.
उनकी सुबहों और शामों का,
मैं एक भी लम्हा क्यूँ पाऊँ.
मैं पल दो पल का शायिर हूँ,
पल दो पल मेरी कहानी है.
पल दो पल मेरी हस्ती है,
पल दो पल मेरी जवानी है

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