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Monday, June 20, 2011

मौत....

ज़िन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास न बैठा,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे।
कोई तोहफा न मिला आज तक मुझे,
आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे।
तरस गया मैं किसीके हाथ से दिए वो एक कपडे को,
और आज नए-नए कपडे ओढ़ाये जा रहे थे।
दो कदम साथ चलने को न तैयार था कोई,
और आज काफ़िला बनाकर जा रहे थे।
आज पता चला की "मौत" इतनी हसीन होती है,
कमबख्त "हम" तो यूँही जिए जा रहे थे।

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