जिसमे नहीं बिलकुल उजाला,
ऐसी ये अँधेरी रात।
उलझन में पद गया हूँ ,
है ये कैसी राज़ की बात।
कोई न देता तनख्वाह तुझे,
फिर भी न करती आने में देरी।
ग़ज़ब की वफादार है तू,
वल्लाह, दाद देनी पड़ेगी तेरी।
तेरे आने से चाँद जगमगाये,
आने पर तेरे, तारे झिलमिलाये।
जब-जब तू दिनियाँ पर छाये,
बागों में रातरानी खिल जाए।
तू तो वो खुशनसीब है,
जो दो दिलो-जिस्मों को एक करते है।
तेरा साथ लेकर ही दुनिया में,
दो दिल ज़िन्दगी की पहेल करते है।
जब-जब मैं तुझे देखता हूँ,
बस तुझे ही देखते रहता हूँ।
दुनियाँ में काली होकर भी हसीन रात,
मै तुझे दिल से सलाम करता हूँ।
ऐसी ये अँधेरी रात।
उलझन में पद गया हूँ ,
है ये कैसी राज़ की बात।
कोई न देता तनख्वाह तुझे,
फिर भी न करती आने में देरी।
ग़ज़ब की वफादार है तू,
वल्लाह, दाद देनी पड़ेगी तेरी।
तेरे आने से चाँद जगमगाये,
आने पर तेरे, तारे झिलमिलाये।
जब-जब तू दिनियाँ पर छाये,
बागों में रातरानी खिल जाए।
तू तो वो खुशनसीब है,
जो दो दिलो-जिस्मों को एक करते है।
तेरा साथ लेकर ही दुनिया में,
दो दिल ज़िन्दगी की पहेल करते है।
जब-जब मैं तुझे देखता हूँ,
बस तुझे ही देखते रहता हूँ।
दुनियाँ में काली होकर भी हसीन रात,
मै तुझे दिल से सलाम करता हूँ।
No comments:
Post a Comment