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Monday, June 20, 2011

रात,,,,


जिसमे नहीं बिलकुल उजाला,
ऐसी ये अँधेरी रात।
उलझन में पद गया हूँ ,
है ये कैसी राज़ की बात।

कोई न देता तनख्वाह तुझे,
फिर भी न करती आने में देरी।
ग़ज़ब की वफादार है तू,
वल्लाह, दाद देनी पड़ेगी तेरी।

तेरे आने से चाँद जगमगाये,
आने पर तेरे, तारे झिलमिलाये।
जब-जब तू दिनियाँ पर छाये,
बागों में रातरानी खिल जाए।

तू तो वो खुशनसीब है,
जो दो दिलो-जिस्मों को एक करते है।
तेरा साथ लेकर ही दुनिया में,
दो दिल ज़िन्दगी की पहेल करते है।

जब-जब मैं तुझे देखता हूँ,
बस तुझे ही देखते रहता हूँ।
दुनियाँ में काली होकर भी हसीन रात,
मै तुझे दिल से सलाम करता हूँ।

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