किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते है।
पराया दर्द अपनाए,
उसे इन्सान कहते है।
कभी धनवान है कितना,
कभी इन्सान निर्धन है।
कभी सुख है कभी दुःख है,
इसी का नाम जीवन है।
जो मुश्किल में न घबराए,
उसे इन्सान कहते है।
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते है।
ये दुनियाँ एक उलझन है,
कहीं धोका, कहीं ठोकर।
कोई हँस-हँसके सहता है,
कोई सहता है रो-रोकर।
जो गिरकर फिर संभल जाए,
उसे इन्सान कहते है।
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते है।
कभी सदगुण हँसाते है,
कभी भूलें सताती है।
भला है भूल न होना,
कभी वो हो ही जाती है।
जो कर ले ठीक गलती को,
उसे इन्सान कहते है।
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते है।
यूँ भरने को तो दुनियाँ में,
पशु भी पेट भरते है।
रखे इन्सान का दिल जो,
वही परमार्थ करते है।
खुद जो बांटकर खाये,
उसे इन्सान केहते है।
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान केहते है.
उसे इन्सान कहते है।
पराया दर्द अपनाए,
उसे इन्सान कहते है।
कभी धनवान है कितना,
कभी इन्सान निर्धन है।
कभी सुख है कभी दुःख है,
इसी का नाम जीवन है।
जो मुश्किल में न घबराए,
उसे इन्सान कहते है।
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते है।
ये दुनियाँ एक उलझन है,
कहीं धोका, कहीं ठोकर।
कोई हँस-हँसके सहता है,
कोई सहता है रो-रोकर।
जो गिरकर फिर संभल जाए,
उसे इन्सान कहते है।
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते है।
कभी सदगुण हँसाते है,
कभी भूलें सताती है।
भला है भूल न होना,
कभी वो हो ही जाती है।
जो कर ले ठीक गलती को,
उसे इन्सान कहते है।
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते है।
यूँ भरने को तो दुनियाँ में,
पशु भी पेट भरते है।
रखे इन्सान का दिल जो,
वही परमार्थ करते है।
खुद जो बांटकर खाये,
उसे इन्सान केहते है।
किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान केहते है.
No comments:
Post a Comment