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Tuesday, June 21, 2011

जिंदगी.....

जिंदगी एक शगल है,
कई चीज़ों में दखल है !

इधर उधर जो ढूँढते,
ख़ुशी तुम्हारे बगल है !

सोचे वादी खाली इन दिनों,
सुकूँ की चहल पहल है !

अरमान गोया कपड़े हो,
हर वक़्त अदल बदल है !

फिर से फुर्सत फिराक में,
नतीजा वही, ग़ज़ल है !

जिंदगी पूरी होती 'मजाल'
ये मुद्दा क्या दरअसल है ?

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